विचार तो सभी के पास होते और सभी कुछ न कुछ विचार ही करते रहते है. लेकिन ये विचार किस काम के अगर इनपर अमल न किया जाए. कहा जाता है है की विचारो की सार्थकता तो तभी सिद्ध होती है जब उसपर वैचारिक शक्ति के साथ बौधिक और शारीरिक मेहनत लगी हो. कभी कभी एक मध्य विचार पर जब कोई परिश्रम करना शुरु करता है तो वही एक सफलता की सीडी बन्ने लगती है लोग उशी से सिखने लगते कहा गया है की " a mediocre idea excellently acted on is better than a genius idea poorly performed" कभी भी पहले कदम को ही कठिन माना गया है.कुकी जब हम चल पड़ते है तो आने वाली अवरोध अपने आप दूर होती जाती है और हमारा मन एक सकारात्मक शक्ति से अभइभुत हो उठता है और हमरी शक्तिया एकीकृत हो एक साथ काम करने लग जाती है फिर सफलता भी काफी करीब दिखने लग जाता.जिशे हम एक झटके में पकड़ और जकड लेते है! सफलता से मीठी दुनिया सिर्फ एक ही चीज है वह है भूख और भूख ही सफतलता की सीढ़ी होती है मतलब की जितनी ज्यादा भूख उतनी बड़ी काम करने की चमता हरे अन्दर जगती है और उतनी ही बड़ी सफलता हम जिन्दगी में पास जाते ह...
Commitment, faith, trust and love are big things to deal with care. A single mistake may cause the biggest pain of being a human with false love, faith, trust and commitment.