विचार तो सभी के पास होते और सभी कुछ न कुछ विचार ही करते रहते है. लेकिन ये विचार किस काम के अगर इनपर अमल न किया जाए. कहा जाता है है की विचारो की सार्थकता तो तभी सिद्ध होती है जब उसपर वैचारिक शक्ति के साथ बौधिक और शारीरिक मेहनत लगी हो. कभी कभी एक मध्य विचार पर जब कोई परिश्रम करना शुरु करता है तो वही एक सफलता की सीडी बन्ने लगती है लोग उशी से सिखने लगते कहा गया है की "a mediocre idea excellently acted on is better than a genius idea poorly performed"
कभी भी पहले कदम को ही कठिन माना गया है.कुकी जब हम चल पड़ते है तो आने वाली अवरोध अपने आप दूर होती जाती है और हमारा मन एक सकारात्मक शक्ति से अभइभुत हो उठता है और हमरी शक्तिया एकीकृत हो एक साथ काम करने लग जाती है फिर सफलता भी काफी करीब दिखने लग जाता.जिशे हम एक झटके में पकड़ और जकड लेते है! सफलता से मीठी दुनिया सिर्फ एक ही चीज है वह है भूख और भूख ही सफतलता की सीढ़ी होती है मतलब की जितनी ज्यादा भूख उतनी बड़ी काम करने की चमता हरे अन्दर जगती है और उतनी ही बड़ी सफलता हम जिन्दगी में पास जाते है . हर दरवाजे जो हमने कभी भी देखे नहीं थे और जिस की हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी अपने आप ही खुलते चले जाते है और सफलता भी हमरे साथ हो लेती है.
साधारण मानव जैसे की हम सभी हमेशा अपने पहेल कदम से डरते है कु की हमे बदलाव से दर लगता है और हर एक कदम जो की सफलता और प्रसिद्धि की तरफ जाता है वो एक परिवर्तन ही होता है, हर परिवर्तन के लिए तीब्र आवेग की जरुरत होती जैसा की बिमानो के उड़ने के समय साधारण इंधन से ३ गुना इंधन प्रयोग में आता है वैसे ही हमे अपनी जिन्दगी में नए रास्तो पर चलने के लिए ३ गुनी शक्ति की जरुरत होती है.और जहा तक आतंरिक शक्ति की बात है मानव से ज्यादा इच्छा शक्ति और मानसिक शक्ति किसी के पास नहीं होता ..जब मानव अपने पूरी शक्ति का ५% प्रयोग में ला कर चाँद पर जा सकता है ज्ञात हो की कितनी सकती छिपी है हम में ..जरुरत है इन शक्तियों को इकठा करने की और पहचानने की ...................जगाओ एक अलख जो हमे आगे बदये और दिया बन हम रास्ता भी दिखाए
कभी भी पहले कदम को ही कठिन माना गया है.कुकी जब हम चल पड़ते है तो आने वाली अवरोध अपने आप दूर होती जाती है और हमारा मन एक सकारात्मक शक्ति से अभइभुत हो उठता है और हमरी शक्तिया एकीकृत हो एक साथ काम करने लग जाती है फिर सफलता भी काफी करीब दिखने लग जाता.जिशे हम एक झटके में पकड़ और जकड लेते है! सफलता से मीठी दुनिया सिर्फ एक ही चीज है वह है भूख और भूख ही सफतलता की सीढ़ी होती है मतलब की जितनी ज्यादा भूख उतनी बड़ी काम करने की चमता हरे अन्दर जगती है और उतनी ही बड़ी सफलता हम जिन्दगी में पास जाते है . हर दरवाजे जो हमने कभी भी देखे नहीं थे और जिस की हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी अपने आप ही खुलते चले जाते है और सफलता भी हमरे साथ हो लेती है.
साधारण मानव जैसे की हम सभी हमेशा अपने पहेल कदम से डरते है कु की हमे बदलाव से दर लगता है और हर एक कदम जो की सफलता और प्रसिद्धि की तरफ जाता है वो एक परिवर्तन ही होता है, हर परिवर्तन के लिए तीब्र आवेग की जरुरत होती जैसा की बिमानो के उड़ने के समय साधारण इंधन से ३ गुना इंधन प्रयोग में आता है वैसे ही हमे अपनी जिन्दगी में नए रास्तो पर चलने के लिए ३ गुनी शक्ति की जरुरत होती है.और जहा तक आतंरिक शक्ति की बात है मानव से ज्यादा इच्छा शक्ति और मानसिक शक्ति किसी के पास नहीं होता ..जब मानव अपने पूरी शक्ति का ५% प्रयोग में ला कर चाँद पर जा सकता है ज्ञात हो की कितनी सकती छिपी है हम में ..जरुरत है इन शक्तियों को इकठा करने की और पहचानने की ...................जगाओ एक अलख जो हमे आगे बदये और दिया बन हम रास्ता भी दिखाए
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